Image Credit : NASA/Landsat

❄️ जलवायु परिवर्तन का असर: कैसे गायब हुआ आइसलैंड का Okjökull Glacier?

🌍 तीन दशक में पूरी तरह पिघल गया Okjökull Glacier

आइसलैंड का Okjökull Glacier, जिसे संक्षेप में Ok Glacier भी कहा जाता था, अब पूरी तरह से गायब हो चुका है। 30 साल पहले इसकी जो सैटेलाइट इमेज मौजूद थी, अब उसमें बर्फ की जगह सिर्फ चट्टानें और खाली जमीन नजर आ रही है। यह पहला ग्लेशियर था जिसे मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण आधिकारिक रूप से मृत घोषित किया गया था।

📍 Okjökull Glacier कहाँ था?

यह ग्लेशियर आइसलैंड के पश्चिमी हिस्से में स्थित था और एक समय पर 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ था। लेकिन बढ़ते तापमान के कारण यह सिकुड़कर लगभग शून्य हो गया।

📸 30 साल पहले और अब

सैटेलाइट इमेज से साफ है कि 1980 के दशक में यह एक विशाल ग्लेशियर था, लेकिन अब वहाँ सिर्फ सूखी जमीन और चट्टानें रह गई हैं।

🔥 जलवायु परिवर्तन ने कैसे पिघलाया ग्लेशियर?

  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि हुई।
  • बर्फ तेजी से पिघलने लगी और नया हिमस्तर बनने की दर बहुत धीमी हो गई।
  • 2014 में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि Okjökull अब ग्लेशियर कहलाने लायक नहीं रहा।

📢 वैज्ञानिकों की चेतावनी

आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने 2019 में Okjökull Glacier के विलुप्त होने की याद में एक पट्टिका (plaque) स्थापित की, जिसमें लिखा था:

"यह पहली बार नहीं है कि कोई ग्लेशियर गायब हुआ हो, लेकिन अगर हम अब भी कुछ नहीं करेंगे, तो अगले 200 वर्षों में आइसलैंड के सभी ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं।"

🌡️ अन्य ग्लेशियर भी खतरे में

Okjökull Glacier के बाद अब आइसलैंड के अन्य बड़े ग्लेशियर Vatnajökull और Langjökull भी तेजी से पिघल रहे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग इसी गति से बढ़ती रही, तो 2200 तक आइसलैंड पूरी तरह बर्फविहीन हो सकता है।

🚀 हम क्या कर सकते हैं?

  • ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करें।
  • पुनर्नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों (solar, wind) का उपयोग बढ़ाएं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाएं।

Okjökull Glacier की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए यह ग्रह बहुत अलग दिखेगा। क्या हम अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए तैयार हैं? 🌎💙