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सोचिए, रात का सन्नाटा है... हवा में बस झींगुरों की आवाज़ गूंज रही है। तभी एक अजीब सी पुकार सुनाई देती है — क्यू-वीईई... क्यू-वीईई...! ये किसी भूत की नहीं, बल्कि Indian Stone-Curlew की आवाज़ है — जिसे Burhinus indicus भी कहा जाता है।
ये पक्षी भारत के सूखे घास के मैदानों, रेगिस्तानों और झाड़ियों में पाया जाता है। इसका शरीर मिट्टी जैसे रंग का होता है, जो इसे अपने आस-पास के माहौल में पूरी तरह छिपा देता है। दिन में ये लगभग अदृश्य हो जाता है, और रात में अपनी रहस्यमयी पुकार से जीवन का संकेत देता है।
Interesting Fact: Indian Stone-Curlew अपने बड़े पीले आंखों के लिए जाना जाता है। ये आंखें रात में बेहतरीन देखने की क्षमता देती हैं, जिससे ये कीड़े-मकोड़े और छोटे जीवों का शिकार आसानी से कर लेता है।
यह पक्षी अक्सर जोड़ों में देखा जाता है और अपने घोंसले ज़मीन पर बनाता है — बस कुछ पत्थर और पत्तियों के बीच, बिना ज्यादा मेहनत के। लेकिन खतरा आने पर ये अपनी चालाकी से अंडों को बचा लेता है। इसका झुककर चुपचाप रहना और खुद को वातावरण में घुला देना इसकी सबसे बड़ी सुरक्षा रणनीति है।
कई स्थानीय लोग मानते हैं कि इसकी आवाज़ “अशुभ” होती है, लेकिन असल में यह प्रकृति का संतुलन बनाए रखने वाला एक शांत प्रहरी है। यह हमें याद दिलाता है कि हर आवाज़ डर की नहीं होती — कुछ आवाज़ें प्रकृति की आत्मा से आती हैं।
Conclusion: Indian Stone-Curlew, या “रात का पहरेदार”, हमें सिखाता है कि रहस्य हमेशा अंधकार में नहीं होता, बल्कि कभी-कभी वह जीवन की गहराई में छिपा होता है। अगली बार जब आप किसी शांत रात में वो रहस्यमयी “क्यू-वीईई” सुनें, तो समझिए — कोई अदृश्य पहरेदार वहाँ है, अपनी दुनिया की रखवाली करता हुआ।