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अगर मैं आपसे कहूं कि वो पक्षी जिसे लोग अशुभ या डरावना मानते हैं, असल में धरती का सच्चा रक्षक है — तो शायद आप चौंक जाएं। लेकिन ये सच है। वो पक्षी है Vulture — प्रकृति का साइलेंट हीरो, जो हमारे लिए गंदगी और बीमारियों से लड़ता है।
Vultures को “nature’s sanitation workers” कहा जाता है क्योंकि ये वो काम करते हैं जिसे कोई और जानवर नहीं करना चाहता — मृत शरीरों को खाना। ये देखने में डरावने लग सकते हैं, लेकिन ये धरती को साफ रखते हैं और बीमारियों को फैलने से रोकते हैं।
सोचिए, अगर ये न होते तो जंगलों और गांवों में सड़ते हुए शवों से कितनी घातक बीमारियाँ फैलतीं — जैसे anthrax, rabies या plague। Vultures प्रकृति के वो सैनिक हैं जो बिना किसी नाम या इनाम के हर दिन हमारी सुरक्षा करते हैं।
Vultures के पेट में hydrochloric acid इतना शक्तिशाली होता है कि वो किसी भी मरे हुए जानवर के हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। इसका मतलब है कि वे उन बीमारियों को खत्म कर देते हैं जो औरों को मार सकती हैं।
इनका immune system इतना मजबूत होता है कि वो anthrax और botulism जैसे वायरस को भी पचा सकता है। यानी जहाँ मौत है, वहीं से ये जीवन की रक्षा शुरू करते हैं।
कभी भारत के आसमान में लाखों vultures उड़ते थे, लेकिन अब वो नज़ारा गायब हो गया है। 1990 के दशक में इनकी संख्या अचानक घटने लगी। वैज्ञानिकों ने पाया कि इसका कारण था एक दवा — Diclofenac, जो मवेशियों को दर्द के इलाज में दी जाती थी। जब गिद्ध उन मरे हुए जानवरों का मांस खाते थे, जिनमें यह दवा बची होती थी, तो उनके किडनी फेल हो जाती थी।
कुछ ही सालों में भारत में वल्चर की आबादी 99% तक घट गई। वो आसमान जो कभी उनके पंखों से भरा रहता था, अब खाली हो गया। और नतीजा? सड़ते शव, बढ़ती बीमारियाँ और बढ़ते कुत्तों के झुंड, जो इंसानों पर हमला करने लगे।
लेकिन उम्मीद अभी बाकी है। भारत में अब Vulture Breeding Centres बनाए गए हैं — जैसे पिनजौर, भोपाल और राजाभातखावा में — जहाँ वैज्ञानिक इन लुप्तप्राय पक्षियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार ने Diclofenac पर बैन लगाया है, और अब नए “safe” विकल्प इस्तेमाल हो रहे हैं। धीरे-धीरे कुछ जगहों पर वल्चर फिर से दिखने लगे हैं — जैसे मध्य प्रदेश के पेंच और राजस्थान के रणथंभौर में।
कई संस्कृतियों में वल्चर को मौत का प्रतीक माना गया, लेकिन असल में यह पुनर्जन्म का प्रतीक है। यह प्रकृति का संतुलन बनाए रखने वाला, “death and rebirth” का messanger है।
माया और मिस्र की सभ्यताओं में वल्चर को “Mother Protector” कहा गया — वो जो मृत आत्माओं को अगले जीवन तक पहुँचाती है। यानी जिसे हम “अशुभ” समझते हैं, वही धरती का सबसे शुद्ध प्राणी है।
Vulture की eyesight इतनी तेज होती है कि ये 5 किलोमीटर दूर से भी मरे हुए जानवर को देख सकता है। और ये आसमान में 10,000 फीट की ऊँचाई तक उड़ सकता है — जहाँ हवा पतली होती है, लेकिन ये बिना थके उड़ता रहता है।
वल्चर ecosystem का वो अदृश्य हिस्सा है जो food chain को संतुलित रखता है। अगर ये खत्म हो जाएं, तो scavengers जैसे stray dogs और rats की आबादी बढ़ती है, जो rabies जैसी बीमारियाँ फैलाते हैं। यानी एक वल्चर का जाना, सैकड़ों इंसानों की जान के खतरे जैसा है।
वल्चर हमें एक गहरी सीख देता है — कि जो दिखने में डरावना है, वही कभी-कभी सबसे बड़ा रक्षक होता है। यह पक्षी अपनी भूख से नहीं, बल्कि अपने कर्म से धरती को सुरक्षित रखता है।
अगली बार जब आप किसी वल्चर को आसमान में गोल चक्कर लगाते देखें, तो याद रखिए — वो मौत नहीं ढूंढ रहा, बल्कि जिंदगी की रक्षा कर रहा है।
Vulture – The Real Guardian of Our Earth.