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CERN के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) को जल्द ही एक नया और शक्तिशाली उपकरण मिलने जा रहा है, जिसका नाम है MATHUSLA — Massive Timing Hodoscope for Ultra-Stable neutral Particles। यह यंत्र ऐसे कणों की पहचान करेगा, जो बेहद लंबे समय तक जीवित रहते हैं और जिन्हें वर्तमान डिटेक्टर नहीं पकड़ पाते। इससे भौतिकी के नए रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद है।
स्विट्जरलैंड और फ्रांस की सीमा पर स्थित LHC को दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु टक्कर मशीन माना जाता है। इसे दो मुख्य उद्देश्यों के साथ बनाया गया था:
2012 में हिग्स कण की खोज एक बड़ी सफलता रही, लेकिन इसके बाद अब तक कोई नया कण सामने नहीं आया है। यह निराशाजनक जरूर है, लेकिन साथ ही इससे कई पुराने सैद्धांतिक मॉडल खारिज हो गए हैं, जिससे वैज्ञानिकों को दिशा मिली है कि किन विचारों पर अब ध्यान नहीं देना चाहिए।
LHC को खासतौर पर चार्ज और अल्पजीवी कणों को पकड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। लेकिन एक खास प्रकार के कण, जिन्हें लंबे समय तक जीवित रहने वाले न्यूट्रल कण कहा जाता है, मौजूदा डिटेक्टर्स से बच निकलते हैं। हो सकता है कि ऐसे कण हर दिन पैदा हो रहे हों, लेकिन हम उन्हें देख ही नहीं पा रहे।
इन्हीं कणों की पहचान के लिए अब MATHUSLA लाया जा रहा है। यह डिटेक्टर ज़मीन के नीचे, LHC की बीम लाइन से लगभग 100 मीटर दूर स्थापित किया जाएगा। इसका ढांचा 40 मीटर चौड़ा एक बड़ा कक्ष होगा, जिसमें चारों ओर सेंसर लगे होंगे।
"लंबे समय तक जीवित" भले ही साधारण लगे, लेकिन कण भौतिकी में इसका अर्थ अलग है। यहां कुछ सौ नैनोसेकंड भी ‘अनंत काल’ जैसे होते हैं। यदि कोई ऐसा कण MATHUSLA तक पहुंचता है और वहां विघटित होता है, तो यह डिटेक्टर उसके द्वारा उत्पन्न कणों की बौछार को पहचान लेगा। सेंसर उनके प्रकाश संकेतों को रिकॉर्ड करेंगे और वैज्ञानिक इनसे उसकी प्रकृति का विश्लेषण कर सकेंगे।
इन लंबे जीवन वाले कणों की खोज:
डार्क मैटर, जो ब्रह्मांड के 85% द्रव्यमान का हिस्सा है, आज भी विज्ञान के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
MATHUSLA के आने से यह उम्मीद जगी है कि LHC की क्षमताओं में क्रांतिकारी वृद्धि होगी। यह डिटेक्टर भौतिकी की उस दुनिया का दरवाज़ा खोल सकता है, जिसकी अब तक केवल कल्पना की गई थी।
अब बस यही आशा है कि हमें MATHUSLA के निर्माण और उसके रहस्यमय खोजों के लिए "मेथूशला" जितना लंबा इंतजार न करना पड़े!