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1 अप्रैल को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट ने पृथ्वी के चारों ओर फैले अंतरिक्ष मलबे की स्थिति पर प्रकाश डाला है — यह समस्या कितनी गंभीर है, और हमें पृथ्वी की कक्षाओं को उपयोग के लायक बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि अंतरिक्ष मलबे की समस्या को अनदेखा किया गया, तो पृथ्वी की कुछ कक्षाएं इतनी अधिक मलबे से भर सकती हैं कि उनका उपयोग करना असंभव हो सकता है।
ESA ने चेतावनी दी कि भले ही हम नया अंतरिक्ष मलबा बनाना बंद कर दें, लेकिन वर्तमान मलबे के टकराकर खुद ही टूटने और मलबे के बादल (debris clouds) बनाने की प्रक्रिया को नहीं रोका जा सकता — जिसे "Kessler syndrome" कहा जाता है।
1 सेंटीमीटर से बड़े मलबे के टुकड़ों की संख्या अनुमानित तौर पर 12 लाख से अधिक है। इनमें से 50,000 से अधिक टुकड़े 10 सेंटीमीटर से बड़े हैं, और ये उपग्रहों और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं।
ESA के अनुसार:
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन प्रमुख कारण अंतरिक्ष मलबे की समस्या को और गंभीर बना रहे हैं:
आज की तुलना में पहले कभी भी इतना ज्यादा स्पेस ट्रैफिक नहीं था। कई छोटे उपग्रह एक साथ लॉन्च किए जा रहे हैं, जिससे संभावित मलबा और भी बढ़ रहा है।
हालांकि कुछ मलबा वातावरण में जलकर खत्म हो जाता है या पृथ्वी पर गिर जाता है, लेकिन नई मलबे की मात्रा, पुरानी मलबे की समाप्ति से कई गुना ज्यादा है। ESA के अनुसार, अब औसतन प्रति दिन तीन से अधिक उपग्रह या रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर रहे हैं।
ESA के अनुसार:
ESA का "ClearSpace-1 मिशन", जिसे 2028 में लॉन्च किया जाना है, पहली बार किसी निष्क्रिय उपग्रह को पकड़कर हटाने का प्रयास करेगा — यह सक्रिय मलबा हटाने (active debris removal) का पहला उदाहरण होगा।