क्या हुआ मिशन के साथ?
- Athena लैंडर को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन यह क्रेटर में गिरकर अपने सोलर पैनल ठीक से नहीं खोल सका।
- 12 घंटे तक काम करने के बाद लैंडर ने संकेत भेजना बंद कर दिया।
- कंपनी ने इस असफलता को **सीखने का मौका** बताया और भविष्य में सुधार करने का वादा किया।
पहले मिशन में क्या हुआ था?
इससे पहले, Intuitive Machines का पहला मून लैंडिंग मिशन भी सफल नहीं हो पाया था। उनका **Nova-C लैंडर** भी चंद्रमा की सतह पर गिर गया था, जिससे संपर्क केवल कुछ समय के लिए ही बना रहा। लगातार दो असफल मिशनों से कंपनी की तकनीकी क्षमताओं पर सवाल उठने लगे हैं।
NASA और निजी कंपनियों पर असर
NASA ने Intuitive Machines को **चंद्रमा पर सस्ते और बार-बार जाने वाले मिशनों** के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया था। लेकिन लगातार असफलताओं के बाद अब इस तकनीक की विश्वसनीयता पर संदेह उठ रहा है। क्या निजी कंपनियाँ भविष्य में सफल मून लैंडिंग कर पाएंगी?
भविष्य की योजना
Intuitive Machines ने कहा है कि वे अगले मिशन के लिए **तकनीकी अपग्रेड** और **बेहतर नेविगेशन सिस्टम** पर काम कर रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपने अगले मिशन में सफलता हासिल कर पाएंगे।