Image Credit : SpinLaunch

रॉकेट स्टार्टअप स्पिनलॉन्च

रॉकेट स्टार्टअप स्पिनलॉन्च सैकड़ों चपटी "माइक्रो सैटेलाइट्स" को एक साथ अंतरिक्ष में भेजना चाहता है, एक तोप जैसी मशीन की मदद से जो वस्तुओं को घुमा कर तेज़ गति से लॉन्च करती है।

पहला ऑर्बिटल डेमोंस्ट्रेशन अगले साल होने की योजना में है।

कैलिफ़ोर्निया की यह स्टार्टअप कंपनी एक ही बार में सैकड़ों "पैनकेक जैसे" सैटेलाइट्स को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजने की तैयारी में है, वो भी एक विशाल सेंट्रीफ्यूगल तोप से रॉकेट को लॉन्च करके।

अगर यह सफल होता है, तो यह अब तक का सबसे बड़ा सैटेलाइट लॉन्च बन सकता है, जिसका रिकॉर्ड अभी स्पेसX के पास है जिसने 2021 में एक साथ 143 सैटेलाइट्स भेजे थे।

स्पिनलॉन्च की तकनीक

स्पिनलॉन्च एक प्राइवेट कंपनी है जो एक नई तकनीक का इस्तेमाल कर रही है: एक विशाल घूमती मशीन जो वैक्यूम सील चैम्बर के अंदर सैटेलाइट्स को बहुत तेज़ी से घुमाती है और फिर एक बैरल से उन्हें गोली से भी तेज़ बाहर फेंक देती है।

इस तकनीक से स्पिनलॉन्च अपना खुद का सैटेलाइट नेटवर्क – "Meridian Space" बनाना चाहता है, जो स्पेसX के Starlink जैसे नेटवर्क को सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प दे सकता है।

नवीनतम निवेश और योजना

3 अप्रैल को, स्पिनलॉन्च ने घोषणा की कि उन्हें Kongsberg Defence and Aerospace (KDA) से $12 मिलियन की फंडिंग मिली है, जिससे उनकी कुल फंडिंग अब करीब $150 मिलियन हो गई है।

उसी दिन, KDA की NanoAvionics कंपनी ने भी बताया कि वह 250 सैटेलाइट्स की पहली खेप बनाएगी, जो 2026 में इन-ऑर्बिट डेमो मिशन के लिए तैयार किए जाएंगे।

सैटेलाइट डिजाइन

इन सैटेलाइट्स का डिजाइन भी काफी अनोखा है। एक वीडियो में दिखाया गया कि हर सैटेलाइट एक फ्लैट डिस्क की तरह होगी और सबको एक साथ एक "लॉन्च बस" में पैनकेक की तरह एक के ऊपर एक रखा जाएगा।

हर सैटेलाइट का आकार लगभग 7.5 फीट (2.2 मीटर) चौड़ा और वजन लगभग 70 किलोग्राम होगा – जो कि Starlink के V2 सैटेलाइट्स (800 किलोग्राम) से बहुत हल्का है।

पिछले परीक्षण

स्पिनलॉन्च ने पहले भी 10 टेस्ट लॉन्च किए हैं अपने सबऑर्बिटल एक्सेलेरेटर से जो न्यू मैक्सिको में स्थित है। इसका वैक्यूम चैम्बर 108 फीट चौड़ा है और यह सैटेलाइट्स को 8,000 किमी/घंटा तक की गति से घुमा सकता है।

सितंबर 2022 का आखिरी टेस्ट सफल रहा था, जिसमें कई पेलोड्स को पहली बार सबऑर्बिट तक पहुँचाया गया।

इन टेस्ट्स के दौरान रॉकेट्स ने 10,000 G तक की ताकत झेली थी। (1 G = पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति)। पूरा एक्सेलेरेशन प्रोसेस लगभग 30 मिनट का था।

🌟 फायदे और नुकसान

फायदे:

  • कम लागत: लॉन्च खर्च $1,250–$2,500 प्रति किलोग्राम होगा, जो कि SpaceX Falcon 9 से लगभग आधा है।
  • पर्यावरण के लिए बेहतर: लॉन्च के दौरान कोई ग्रीनहाउस गैस नहीं निकलती।
  • कोई बूस्टर नहीं चाहिए, जिससे अंतरिक्ष में स्पेस जंक कम बनेगा।

नुकसान:

  • भविष्य में ज़्यादा लॉन्च होने से लो-अर्थ ऑर्बिट में भीड़ बढ़ सकती है।
  • टकराव की संभावना, रोशनी और रेडियो सिग्नल में दखल, और वायुमंडलीय प्रदूषण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।